बॉम्बे हाईकोर्ट ने आर्यन को जमानत दी, लेकिन आज रात जेल में ही रहना होगा

Kailash
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क्रूज ड्रग्स केस में मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद आर्यन खान को 26 दिन बाद जमानत मिल गई है। 2 नवंबर को शाहरुख का जन्मदिन है। इसलिए कोर्ट के इस आदेश को शाहरुख के लिए एडवांस बर्थडे गिफ्ट माना जा सकता है। वे अपने बेटे आर्यन के साथ बर्थडे मना पाएंगे।


कोर्ट ने आर्यन के अलावा मुनमुन धमीचा और अरबाज मर्चेंट को भी जमानत दे दी है। हालांकि, अदालत से फिलहाल आदेश की कॉपी न मिलने के कारण तीनों को शुक्रवार या शनिवार तक रिहा कर दिया जाएगा।

NCB ने जमानत का विरोध किया

गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में दोपहर 3 बजे सुनवाई शुरू हुई थी। शाम करीब 4.45 बजे कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया। आरोपियों की जमानत का विरोध करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) अनिल सिंह ने NCB की तरफ से दलील दीं, लेकिन कोर्ट ने आरोपियों को जमानत दे दी।


ASG ने कोर्ट से कहा कि आर्यन को जमानत मिलने पर सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है। आर्यन पिछले कुछ सालों से नियमित ड्रग्स ले रहे हैं। रिकॉर्ड से पता चलता है कि वे कई लोगों को ड्रग्स उपलब्ध कराते रहे हैं। जिस तादाद में ड्रग्स की मात्रा मिली है, उससे साफ है कि वह नशा तस्करों के संपर्क में रहे हैं।

एक दिन पहले आर्यन के वकील ने रखा पक्ष

बुधवार को कोर्ट ने कहा था कि यदि 1 घंटे में ASG दलील पूरी कर लेते हैं तो गुरुवार को ही इस मामले में फैसला ले लिया जाएगा। इससे पहले दो दिन तक हुई सुनवाई के दौरान आर्यन खान, उनके दोस्त अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमीचा के वकीलों ने अपना पक्ष रखा।

आर्यन से ड्रग्स की रिकवरी नहीं: रोहतगी

सुनवाई के दौरान आर्यन खान के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा था कि आर्यन खान की कस्टडी का कोई कारण नहीं दिया गया है। इसके साथ ही आर्यन के पास से ड्रग्स की रिकवरी भी नहीं हुई है, ऐसे में उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह गलत है। मंगलवार को बहस के दौरान पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया था कि आर्यन खान यंग बॉय है इसलिए उसे जेल के बजाय सुधार गृह में भेजा जाना चाहिए।

क्रूज शिप से NCB ने गिरफ्तार किया था

23 वर्षीय आर्यन को NCB अधिकारियों द्वारा एक क्रूज शिप पार्टी पर छापे के बाद 3 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल आर्यन एक अन्य आरोपी अरबाज मर्चेंट के साथ आर्थर रोड जेल में बंद है। जबकि मुनमुन धमीचा भायखला महिला जेल में है। कानूनी जानकारों की माने तो जज इसके बाद समय के अभाव का हवाला देते हुए या पेश सबूतों और बाकी दस्‍तावेजों को पढ़ने के लिए वक्‍त लें। ऐसे में फैसला सुरक्ष‍ित रखा जा सकता है।

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