गुजरात के राजकोट और असम के करीमगंज में भूकंप के झटके; राजकोट में तीव्रता 4.5
गुरुवार सुबह गुजरात के राजकोट और असम के करीमगंज जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। यह जानकारी नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने दी। जानकारी के मुताबिक, करीमगंज में सुबह 7:57 जबकि राजकोट में 7:40 पर यह झटके महसूस किए गए। करीमगंज में भूकंप की तीव्रता 4.1 जबकि राजकोट में 4.5 मापी गई। फिलहाल, दोनों ही स्थानों से किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के ऊना में भी तड़के 4.47 बजे झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 2.3 मापी गई।
कच्छ में 15 जून को आया था भूकंप
गुजरात के कच्छ में 15 जून को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। तब रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 5.5 थी। इसका एपिसेंटर कच्छ के वोंध गांव में था। हालांकि, इससे किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था। 19 साल पहले 26 जनवरी 2001 को भी कच्छ के भुज में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
गुजरात के कच्छ में 15 जून को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। तब रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 5.5 थी। इसका एपिसेंटर कच्छ के वोंध गांव में था। हालांकि, इससे किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था। 19 साल पहले 26 जनवरी 2001 को भी कच्छ के भुज में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा प्रेशर बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। अर्थक्वेक ट्रैक एजेंसी के मुताबिक हिमालयन बेल्ट की फॉल्ट लाइन के कारण एशियाई इलाके में ज्यादा भूकंप आते हैं।
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा प्रेशर बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। अर्थक्वेक ट्रैक एजेंसी के मुताबिक हिमालयन बेल्ट की फॉल्ट लाइन के कारण एशियाई इलाके में ज्यादा भूकंप आते हैं।
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